BIFR Full Form in Hindi, BIFR का Full Form क्या है, BIFR क्या होता है, बी. आई. एफ. आर. क्या है, BIFR का पूरा नाम और हिंदी में क्या अर्थ होता है, ऐसे सभी सवालो के जबाब आपको इस Post में मिल जायेंगे.
BIFR की फुल फॉर्म Board of Industrial and Financial Reconstruction होती है. इसको हिंदी मे औद्योगिक और वित्तीय पुनर्निर्माण बोर्ड कहते है. बीआईएफआर भारत सरकार की एक एजेंसी और वित्त मंत्रालय की वित्तीय सेवाओ विभाग का एक हिस्सा था. इसको बीमार औद्योगिक कंपनियो को विशेष प्रावधान अधिनियम एसआईसीए 1985 के तहत स्थापित किया गया था. दोस्तों हम आशा करते है आपको BIFR की Full Form मालूम हो गई होगी तो चलिए अब इसके बारे और भी सामान्य जानकारी प्राप्त करते है.
बीआईएफआर का उद्देश्य संभावित बीमार या गैर-व्यवहार्य औद्योगिक कंपनियों के बीमार उपक्रमों और बंद या परिसमापन को पुनर्जीवित करना और पुनर्वास करना था. इसने समस्या की प्रकृति के आधार पर उपयुक्त पुनरुद्धार पैकेज प्रदान किए है.
पूर्व स्वतंत्रता दिवसों मे भारत मे औद्योगिक बीमारी शुरू हुई थी. शुरुआत मे भारत सरकार ने अस्थायी राहत प्रदान करने के लिए बैंकों के राष्ट्रीयकरण सहित कुछ विज्ञापन उपायो के साथ इसका सामना करने की कोशिश की थी. सन 1975 मे आरबीआई ने टंडन समिति की स्थापना की. एक वर्ष बाद एचएन रे कमेटी का गठन 1976 मे हुआ था. इन समितियो ने कुछ उपायो का सुझाव दिया जो संतोषजनक नही था.
सन 1981 मे एक तिवारी समिति गठित की गई थी जिसने औद्योगिक बीमारी से निपटने के लिए एक व्यापक कानून का सुझाव दिया था. लेकिन नतीजतन एसआईसीए 1985 मे अस्तित्व मे आया और बीआईएफआर की स्थापना जनवरी 1987 मे एसआईसीए के तहत हुई थी. और फिर सन 1987 अप्रैल मे औद्योगिक और वित्तीय पुनर्निर्माण एएआईएफआर के लिए अपीलीय प्राधिकरण का गठन किया गया था और सन 1991 मे सरकारी कंपनियों को एसआईसीए के दायरे मे लाया गया था और फिर बाद मे इसमे औद्योगिक उपक्रमों दोनो सार्वजनिक और निजी कंपनियों को शामिल किया गया था.
सन 2001 मे कंपनियां संशोधन विधेयक पेश किया गया क्योंकि सरकार ने महसूस किया कि बीआईएफआर ने निवारक औद्योगिक बीमारी के अपने उद्देश्यों को पूरा नहीं किया है. और फिर सन 2003 मे बीमार औद्योगिक कंपनियों विशेष प्रावधान दोहराव अधिनियम लागू किया गया था. जिसने एसआईसीए को बदल दिया और बीआईएफआर और एएआईएफआर को राष्ट्रीय कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल एनसीएलटी और नेशनल कंपनी लॉ अपीलीट ट्रिब्यूनल एनसीएलएटी के साथ बदलने की मांग की.
सन 2016 1 दिसंबर को भारत सरकार ने आधिकारिक अधिसूचना के माध्यम से बीआईएफआर को भंग कर दिया और सभी कार्यवाही एनसीएलटी को दिवालियापन और दिवालियापन संहिता के अनुसार संदर्भित किया जाना था.