आज के समय Technology जितनी तेजी से बदला रही है यह आप और हम सोच भी नहीं सकते है. इस तेजी से बदलती दुनिया हमारे बहुत से काम आसानho गए है और इसका पूरा शये टेक्नोलॉजी को जाता है. आज के समय तक Wireless Network बनाने के लिए Wi-Fi Technology का उपयोग किया जाता है लेकिन हो सकता है आने वाले समय में इसकी जगह Li-Fi Technology को मिल जाये. आपकी जानकारी के लिए में आपको बताना चाहूंगा भारत में इस टेक्नोलॉजी पर टेस्टिंग चल रही हैं. इस टेक्नोलॉजी में कुछ खाशियत भी है और कुछ कमियाँ भी है जिसपर हम इस Post मे चर्चा करेंगे.
त्वरित गति से अधिक डेटा के लिए दुनिया का बढ़ता जुनून वाईफाई की क्षमता को अपनी सीमा में धकेल रहा है. 2019 तक यह भविष्यवाणी की जाती है कि दुनिया हर महीने लगभग 35 क्विंटल बाइट डेटा का आदान प्रदान करेंगे. Li-Fi बदलती तीव्रता के प्रकाश का उपयोग करके डेटा का आदान प्रदान करने के लिए उभरती हुई तकनीक उच्च गति सीमा प्राप्त करने की हमारी इच्छा के अनुसार हो सकती है. अब यह Li-Fi Technology के उपयोग से ही मालूम होगा की यह कैसी टेक्नोलॉजी है.
LiFi का पूरा नाम Light Fidelity है. अगर सरल शब्दों में कहें तो Li-Fi लाइट फिडेलिटी के लिए संक्षिप्त रूप है जैसे वायरलेस फिडेलिटी के लिए Wi-Fi है. Li-Fi एक वायरलेस तकनीक है जो दृश्य प्रकाश संचार का उपयोग करते हुए उच्च गति के डेटा को प्रसारित करती है. इस टेक्नोलॉजी की शुरुवात University of Edinburgh के Professor Herald Haas ने की थी. Herald Haas ने 2011 में Li-Fi Concept को लोगो के सामने रखा और ये बताया Li Light की मदद से आप कैसे अपने Data का Transmission या Communication कर सकते है. उसके बाद से वो इस Technology पे काम करते आ रहे है.
LiFi Technology Light Fidelity बाकि सभी Technology जो Data का Transmission या Communication करती है. उन सब के मुकाबले कई गुना तेज काम करने वाली Technology है. इसके एक Testing मे Professor Harald Haas ने Data को Transfer कर के दिखाया था तो उस Time पर LiFi के जरिये 224 GB/second की Speed से Data को Transfer किया गया था.
Li-Fi एक वायरलेस तकनीक है जो दृश्य प्रकाश संचार का उपयोग करते हुए उच्च गति के डेटा को प्रसारित करती है. लैब प्रयोगों के अनुसार 224 गीगाबिट प्रति सेकंड की गति है जो ली-फाई के लिए देखी गई है. Li-Fi ऑप्टिकल वायरलेस संचार (OWC) का एक सबसेट है. यह तकनीक डेटा को वायरलेस तरीके से प्रसारित करने के लिए प्रकाश उत्सर्जक डायोड (एलईडी) का उपयोग करती है.
Li-Fi संचार IEEE द्वारा स्थापित वाई-फाई की तरह एक संचार प्रोटोकॉल है जो संगत समाधानों के लिए PHY और MAC परत को परिभाषित करता है और ऑडियो, वीडियो और मल्टीमीडिया सेवाओं को प्रसारित करने के लिए पर्याप्त डेटा दरों को वितरित करता है.
Li- Fi वायरलेस के द्वारा डेटा ट्रांसफर करने के लिए ऑप्टिकल लाइट का उपयोग करता है. यह MAC Layer TCP IP Protocol के मामले में अन्य Layers के साथ लिंक बनाने की अनुमति देता है.
इसे पहली बार 2011 में जर्मन भौतिक विज्ञानी हैराल्ड हैस द्वारा टेड टॉक में प्रदर्शित किया गया था. यह तकनीक तब लास वेगास में 2012 के उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स शो में कैसियो स्मार्टफोन की एक जोड़ी का उपयोग करके डेटा को आदान प्रदान करने के लिए स्मार्टफोन का उपयोग करके डेटा का आदान प्रदान करने के लिए किया गया था जो कि उनकी स्क्रीन से अलग अलग तीव्रता के प्रकाश का उपयोग करके दस मीटर की दूरी तक पता लगाने सक्षम थी.
Visible Light Communication(VLC) का एक सुरक्षा पहलू यह है कि, यह Line of Sight कार्यप्रणाली है इसका मतलब है कि डिवाइस को प्रकाश ट्रांसमीटर पर दृष्टि की एक पंक्ति होना चाहिए. ऐसा इसलिए क्योंकि लाइट रेडियो सिग्नलों की दीवारों को भेद नहीं सकती इसलिए वायरलेस इंटरनेट सिग्नलों को हैक करना कहीं अधिक मुश्किल होता है.
Li-Fi को लागू करने के लिए डेटा ट्रांसमिशन के लिए एक वीएलसी प्रणाली स्थापित करने की आवश्यकता होती है. Li-Fi OWC तकनीक का एक सबसेट है जो LED का उपयोग एक प्रकार के रूप में करता है. इस प्रणाली के लिए एक ट्रांसमीटर और निरंतर Current की आवश्यकता होती है. Li-Fi को डाउनलिंक ट्रांसमीटर पर सफेद एलईडी लाइट बल्बों का उपयोग करके लागू किया जाता है जो केवल एक निरंतर प्रवाह लागू करके ही रोशन होता है. हालांकि अधिक Current अधिक Luminance होगा और इसलिए अधिक डेटा ट्रांसफर गति होगी.
इस की प्रक्रिया बहुत सरल है -
LED – ON – Transmission Digital 1.
LED – OFF – Transmission Digital 0.
एक एल ई डी को बहुत तेज गति से चालू और बंद किया जा सकता है जिससे डेटा संचारित करने के अच्छे अवसर मिलते हैं. आप जिस डेटा को एनकोड करना चाहते हैं वह सीधे उस दर पर निर्भर करता है जिस पर एलइडी Flicker करता है.
LiFi Technology मे एक LED Bulb होगा उस Bulb की Light Range जहाँ तक होगी वह तक LiFi की Range होगी. Range को बढाने के लिए अलग अलग बहुत से Light लगायी जाएगी जिससे की आपके Home या Office के पुरे Area को Cover किया जा सके ये उसी प्रकार होगा जैसा की WiFi की Range को बढाने के एक के बाद एक बहुत से Router को लगाया जाता है.
Li-Fi Wi-Fi की तुलना में बहुत सस्ती होती है और इसे लाइसेंस की आवश्यकता नहीं होती है. यह संचार का सुरक्षित साधन है क्योंकि ऑप्टिकल तरंगें दीवारों से नहीं गुजरती हैं. यह संचार के बहुत तेज़ माध्यमों पर ऑप्टिकल स्तर पर काम करती है और यह उच्च गति पर समानांतर में एक साथ हजारों डेटा स्ट्रीम संचारित कर सकती है.
LiFi Technology Hacking जैसी मुसीबतों को रोकने में काफी मददगार साबित होगी.
LiFi में बहुत सरे Device एक साथ Connect हो सकते है और उसके बाद भी इसकी Speed में कोई अंतर नहीं आता है.
इस Technology के माध्यम से कम समय में अधिक Data Transfer किया जा सकेगा. यह Technology WiFi से 100 गुना तेज होगा.
LiFi को Electromagnetic Sensitive Areas जैसे कि विमान के केबिन, अस्पतालों और परमाणु ऊर्जा संयंत्रों में विद्युत चुम्बकीय हस्तक्षेप के बिना उपयोगी होने का फायदा है.
LiFi Technology का आविष्कार Edinburgh University के एक Professor Harald Haas ने 2011 में किया था. यह भी Wi-Fi की तरह ही एक Wireless Networking Facility है.