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Hello Friends Tutorialsroot मे आपका स्वागत है आज हम आपको इस Post में RAM के बारे में बताने जा रहे है जिसमे आपको RAM के बारे में सीखने को मिलेगा हमे आशा है की पिछली बार की तरह इस बार भी आप हमारी Post को पसंद करेंगे. बहुत कम लोग ही जानते होंगे की RAM क्या है और इसका उपयोग कैसे और क्यों किया जाता है अगर आप इसके बारे में नही जानते तो कोई बात नहीं हम आपको इसके बारे में पूरी तरह से जानकारी देंगे इसके लिए हमारी Post को शुरू से अंत तक ज़रुर पढ़े.
कंप्यूटर और मोबाइल में दो प्रकार की मेमोरी का उपयोग किया जाता है. रैम मेमोरी और रोम मेमोरी. लेकिन एक आम उपयोगकर्ता के लिए यह समझना थोड़ा सा मुश्किल होता है कि इनमें क्या अंतर है. आज हम आपको इस Post में रैम मेमोरी के बारे में बतायंगे तो आइये और जानने की कोशिस करते है रैम मौमोरी क्या है.
RAM की फुल फॉर्म Random Access Memory होती है. RAM किसी भी कंप्यूटर या Device का सबसे जरूरी Part होता है. रैम एक हार्डवेयर डिवाइस है जो आमतौर पर कंप्यूटर के मदरबोर्ड पर स्थित होता है और सीपीयू की इंटरनल मेमोरी के रूप में कार्य करता है. जब आप कंप्यूटर पर स्विच करते हैं तो यह सीपीयू स्टोर डेटा प्रोग्राम और प्रोग्राम परिणाम की अनुमति देता है. यह एक कंप्यूटर को Read और Write करने वाली मेमोरी है जिसका अर्थ है कोई भी Information उस पर लिखी जा सकती है और साथ ही इससे पढ़ी जा सकती है.
RAM एक अस्थिर मेमोरी है. यह मेमोरी डेटा या निर्देशों को स्थायी रूप से Stored नहीं करती है. जब आप कंप्यूटर पर स्विच करते हैं तो हार्ड डिस्क से डेटा और निर्देश रैम में Stored होते हैं उदाहरण के लिए जब कंप्यूटर को रिबूट किया जाता है और जब आप एक प्रोग्राम खोलते हैं तो ऑपरेटिंग सिस्टम और प्रोग्राम को रैम में लोड किया जाता है आम तौर पर एक एचडीडी या एसएसडी से.
सीपीयू इस डेटा का उपयोग आवश्यक कार्यों को करने के लिए करता है. जैसे ही आप कंप्यूटर बंद करते हैं RAM से डाटा गायब हो जाता है. इसलिए जब तक कंप्यूटर चालू नहीं होता है तब तक डेटा रैम में रहता है और कंप्यूटर बंद हो जाता है. रैम में डेटा लोड करने का लाभ यह है कि रैम से डेटा पढ़ना हार्ड ड्राइव से पढ़ने की तुलना में बहुत तेज होता है.
एक कंप्यूटर इस तरह काम करता है जब RAM भर जाती है, तो प्रोसेसर नए डेटा के साथ RAM में पुराने डेटा को ओवरले करने के लिए हार्ड डिस्क पर जाता है. यह एक उपयोगी स्क्रैच पेपर की तरह होता है जिस पर आप एक पेंसिल से नोट, नंबर आदि लिख सकते हैं. दोस्तों अगर आप कागज पर अंतरिक्ष से बाहर भागते हैं तो आप वह Delete कर सकते हैं जिसकी आपको अब आवश्यकता नहीं है. रैम भी इस तरह से काम करता है जब यह भर जाता है तो रैम पर अनावश्यक डेटा Delete कर दिया जाता है और इसे हार्ड डिस्क से नए डेटा के साथ बदल दिया जाता है जो वर्तमान संचालन के लिए आवश्यक है.
रैम एक चिप के रूप में आता है जो व्यक्तिगत रूप से मदरबोर्ड पर लगाया जाता है या मदरबोर्ड से जुड़े एक छोटे बोर्ड पर कई चिप्स के रूप में होता है. यह एक कंप्यूटर की मैन मेमोरी है. हार्ड डिस्क ड्राइव और सॉलिड-स्टेट ड्राइव और ऑप्टिकल ड्राइव आदि जैसी अन्य मेमोरी की तुलना में इसे लिखना और पढ़ना अधिक तेज़ होता है.
दोस्तों कंप्यूटर का प्रदर्शन मुख्य रूप से रैम के Size या Storage क्षमता पर निर्भर करता है. अगर ओएस और सॉफ्टवेयर प्रोग्राम को चलाने के लिए इसमें पर्याप्त रैम नहीं है तो यह बहुत स्लो काम करेगा. एक कंप्यूटर में जितनी अधिक रैम होगी वह उतनी ही तेजी से काम करेगा. रैम में स्टोर जानकारी को एक सीडी या हार्ड ड्राइव पर श्रेणी में नहीं बल्कि Random रूप से एक्सेस किया जाता है.
RAM दो प्रकार की होती है -
DRAM – Dynamic Random Access Memory
SRAM – Static Random Access Memory
DRM और SRAM Technology में एक दुसरे से अलग अलग होती है और इनका काम Computer Data को Hold करना होता है. दोनों प्रकार की रैम अस्थिर होती हैं क्योंकि बिजली बंद होने पर दोनों अपनी सामग्री खो देती हैं. Computer में DRAM का उपयोग ज्यादा होता है लेकिन अगर हम Speed की बात करे तो SRAM की Speed उससे ज्यादा होती है. DRAM हर Second में हजारो बार Refresh होती है लेकिन SRAM को Refresh करने की जरूरत नही होती और इसी वजह से ये ज्यादा High Speed के साथ काम कर पाती है.
Computer Program के Function को अपने Data को Process करने के लिए कुछ Code की जरूरत होती है तो DRAM का उपयोग Computer में उन्ही Code को उपयोग करने के लिए किया जाता है. RAM Computer Motherboard में लगे Process के पास ही लगी होती है ताकि ये जल्दी से जल्दी Data के Computer Processor तक पहुंचने के सारे मार्गो को Open कर सके.
DRAM Capacitor और Transistor से बने हुए Storage Cell में Data की हर Bit को Store करता है. DRAM को Dynamic Storage Cell इसलिए माना जाता है क्योकि इसे हर Millisecondes में Refresh करने के लिए एक नये Electronic Charge की जरूरत पड़ती है ताकि ये Capacitor से Leek हो रहे Charge की कमी को पूरा कर सके.
DRAM की सबसे खास बात ये है कि इसका आकार साधारण होता है. इसकी Speed भी अच्छी होती है और साथ ही साथ इसकी कीमत भी बाकि की Memory Device से कम होती है. लेकिन इसमें एक कमी ये भी है कि ये बाकि की Device से ज्यादा बिजली का उपयोग करता है और अस्थिर होता है.
SRAM जब तक Computer को Power Supply मिलती रहती है तब तक Computer Data की हर Bit को Store और Return करता है. DRAM जिसको अपना काम करने के लिए लगातार Refresh होना होता है SRAM बिना Refresh हुए ही अपने काम को करता है और इसी वजह से इसकी Speed DRAM से कहीं ज्यादा होती है. इसे Refresh करने के लिए Electronic Supplies की जरूरत नही होती. इसकी कीमत DRAM की कीमत से कहीं ज्यादा होती है और साथ ही Data को Store करने के लिए इसे DRAM से 4 गुना जगह की जरूरत होती है. इसका उपयोग Level – 1, Level – 2 के cache के लिए किया जाता है जिसे Microprocessor DRAM से पहले Check करता है.
SRAM एक तरह का Semiconductor होता है जो Data को Store करने के लिए Bistable Leaching Circuit का उपयोग करता है. साथ ही ये हाई Capacities पर काम करता है. SRAM का उपयोग भी आप अपने Personal Computer या अपने कार्य स्थल के Computer में CPU की Files, External Cache, CPU Cache, Hard Disk को Buffer करने इत्यादि कार्य करते है. इसके आलावा LED Screens और Printer भी अपनी Images को Display करने के लिए SRAM का उपयोग करता है.
RAM के इतिहास के बारे में अगर बात की जाये तो में आपको बताना चाहूंगा सबसे पहली रैम को 1947 में विलियम्स ट्यूब के साथ पेश किया गया था. इसका उपयोग CRT में किया गया था यानी के Cathode Ray Tube में और डेटा को विद्युत रूप से चार्ज किए गए स्पॉट के रूप में संग्रहीत किया गया था.
दूसरे प्रकार की रैम एक चुंबकीय कोर मेमोरी थी जिसका आविष्कार 1947 में किया गया था. यह प्रत्येक रिंग से जुड़ने वाले छोटे धातु के छल्ले और तारों से बना था. एक रिंग एक बिट डेटा संग्रहीत करती है और इसे किसी भी समय एक्सेस किया जा सकता है.
रैम जिसे आज हम सॉलिड स्टेट मेमोरी के रूप में जानते हैं इसका आविष्कार रॉबर्ट डेनार्ड ने 1968 में आईबीएम थॉमस जे वत्स रिसर्च सेंटर में किया था. इसे विशेष रूप से डायनामिक रैंडम एक्सेस मेमोरी (DRAM) के रूप में जाना जाता है और इसमें बिट्स को डेटा स्टोर करने के लिए ट्रांजिस्टर होते हैं. इसमें प्रत्येक ट्रांजिस्टर की स्थिति को बनाए रखने के लिए बिजली की निरंतर आपूर्ति की आवश्यकता होती थी
इंटेल ने अक्टूबर 1969 में पूरी दुनिया के सामने अपना पहला DRAM, Intel 1103 पेश किया था. यह इसका पहला व्यावसायिक रूप से उपलब्ध DRAM था.