URL क्या है और यह कैसे काम करता है



URL की फुल फॉर्म Uniform Resource Locator होती है. URL यूनिफ़ॉर्म रिसोर्स लोकेटर पर स्थिर है और इसका उपयोग वर्ल्ड वाइड वेब पर एड्रेस को Specified करने के लिए किया जाता है. URL वेब से जुड़े किसी भी Resources के लिए Basic नेटवर्क पहचान है जैसे की Hypertext Page, Image और Sound Files आदि. URL तीन चीजो से मिलकर बना होता है.

  • Protocol

  • Domain Name

  • Domain Code

प्रोटोकॉल निर्दिष्ट करता है कि लिंक से जानकारी कैसे ट्रांसफर की जाती है. वेब Resources के लिए उपयोग किया जाने वाला प्रोटोकॉल हाइपरटेक्स्ट ट्रांसफर प्रोटोकॉल है. ख़ास तौर पर वेब ब्राउज़र के साथ अनुकूल अन्य प्रोटोकॉल में एफ़टीपी, टेलनेट, न्यूज़ग्रुप और गोफर शामिल होते हैं.

पहला भाग HTTP यानि Hypertext Transfer Protocol होता है जो Protocol होते है. जिसकी मदद से Internet पर Data Transfer होता है फिर दूसरा भाग होता है Domain Name जो कि किसी Particular Website का पता होता है जैसे मेरी Website का नाम है Tutorialsroot तो यह भी एक Domain है फिर तीसरा भाग है Domain Code होता है जो यह दर्शाता है कि Website किस प्रकार की है जैसे मेरी Website का Domain Code है .com जो किसी Commercial Website को दर्शाता है. और इसी तरह से और भी Domain Codes होते है जिनके नाम आप नीचे देख सकते है.

  • .gov – Government

  • .org – Organization

  • .edu – Educational

  • .net – Network

  • .mil – Military

  • .in – India

URL कैसे काम करता है

Internet पर हर Website का एक IP Address होता है जो Numerical होता है जैसे www.google.com का IP Address 64.233.167.99 है तो जैसे ही हम अपने Browser मे किसी Website का URL Type करते हैं. तब हमारा Browser उस URL को DNS की मदद से उस Domain के IP Address मे बदल देता है. और उस Website तक पहुच जाता है जो हमने Search की थी. शुरुवात मे Direct IP से ही किसी Website को Access किया जाता था. लेकिन यह एक बहुत कठिन तरीका था. क्योंकि इतने लम्बे Number को तो कोई याद रख पाना बहुत मुश्किल था. इसलिये बाद मे DNS नाम बनाये गए जिस से हम किसी भी Website का नाम आसानी से याद रखा जा सकता है.

URL का इतिहास

Tim Berners-Lee ने Uniform Resource Locators (URL) को सबसे पहले दुनिया के सामने लाया. WWW एक ऐसा स्थान है जहाँ सभी Documents आपस में URL और Hypertext Link से Connected रहते है. Tim Berners- Lee को WWW का Inventor कहा जाता है. Tim Berners Lee ने URL का आविष्कारक किया था. HTML को बनाने के बाद स्तर लैंग्वेज का उपयोग करके WWW मे बहुत सारे Pages Create किये गये और उसके साथ Hyperlinks भी बनाये गये. इसके बाद फिर उन दोनों को आपस में जोड़ दिया गया जिससे की इंटरनेट प्रतिदिन और भी बड़ा होता ही गया.

Types of URL

URL के Types की बात करे तो ऐसे हमे बहुत सारे Types मिल जाएंगे लेकिन कुछ ऐसे Types भी है जिनके बारे मे हमे विशेष रूप जानना बहुत जरूरी है.

  • Static URLs

  • Dynamic URLs

  • Messy URLs

Static URLs

Static URL वह URL होता है जो एक Static Web Page के साथ Bind होता है. इस URL को Web Pages HTML Coding के साथ पूरी तरह से हार्ड वायर्ड (यंत्रस्थ) कर दिया जाता है. यह URL कभी भी नहीं बदलता है चाहे उपयोगकर्ता कुछ भी Request कर रहा हो.

Dynamic URLs

एक Dynamic URL Database द्वारा संचालित Website की Query या कुछ Processing Script चलाने वाली Website के URL के माध्यम से एक URL लौटाया जाता है. Dynamic URL Static URLs से अलग है. Static URL के वेब पेज पर सामग्री तब तक नहीं बदली जब तक Web Programmer Page Html Code को बदलता नहीं है.

एक Dynamic URL वाले वेब पेज की सामग्री स्वचालित Query से Website के Database में जेनरेट की जाती है. Page Technical रूप से Database Query से आने वाले परिणामों को प्रदर्शित करने वाला Database Template है. एक Dynamic URL वाली एक Website एक संबंधित Database है जो अधिकांश Website सामग्री मे भरती है.

Dynamic URL देखने में Messy URL के जैसे ही होते हैं इस URL में ?,&,%,+,=,$ जैसे Character होते हैं. इनका उपयोग मुख्यत Consumer द्वारा उपयोग मे लाये गए Website मे होता है जैसे की कोई Shopping, Travelling Websites जिसमें की उपयोगकर्ता बार बार अपनी Queries बदलते रहते हैं जिससे की Answers भी बदलते रहते है.

Messy URLs

Messy URL में बहुत सारे Numbers और Letters होते है जिससे की कोई संगठन सेंस आता हो. उदहारण के लिए http://www.fakeURLwebopedia.com/article.php/3831706/ खासतौर से ये URL कंप्यूटर द्वारा उत्पन्न किये जाते है जो की किसी समान डोमेन नाम के लिए हजारो की संख्या मे Web Pages बनाते है.




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