Hello Friends Tutorialsroot मे आपका स्वागत है आज हम आपको इस पोस्ट में पृथ्वी की गति के तथ्य के बारे में बताने जा रहे है जिसमे आपको पृथ्वी की गति के तथ्य के बारे में जानने को मिलेगा हमे आशा है की पिछली बार की तरह इस बार भी आप हमारी पोस्ट को पसंद करेंगे.
दोस्तों आज के समय बहुत कम लोग ही जानते होंगे की पृथ्वी की गति के तथ्य क्या है. अगर आप इसके बारे में नही जानते तो कोई बात नहीं हम आपको इसके बारे में पूरी तरह से जानकारी देंगे इसके लिए हमारी पोस्ट को शुरू से अंत तक ज़रुर पढ़े.
अपनी धुरी पर पृथ्वी का घूमना दिन और रात का कारण बनता है.
सूर्य के चारों ओर अपनी कक्षा में पृथ्वी की परिक्रमा ऋतु में परिवर्तन का कारण बनती है.
जब रातें और दिन बराबर होते हैं तो विषुव के रूप में जाना जाता है. विषुव के समय के दौरान सूर्य भूमध्य रेखा पर बिल्कुल चमकता है.
प्रत्येक वर्ष के 21 मार्च को वसंत वसंत विषुव के रूप में जाना जाता है और हर साल 23 सितंबर को शरद ऋतु विषुव के रूप में जाना जाता है.
जब दिन और रात की लंबाई के बीच का अंतर अधिकतम होता है तो संक्रांति के रूप में जाना जाता है.
संक्रांति के समय सूर्य उष्णकटिबंधीय या कर्क रेखा या ट्रोपिक मकर रेखा पर चमकता है.
23.500 उत्तर कर्क रेखा का प्रतिनिधित्व करता है। 21 जून को सूर्य कर्क रेखा पर चमकता है और इसे वर्ष का सबसे लंबा दिन कहा जाता है.
21 जून को ग्रीष्मकालीन संक्रांति के रूप में जाना जाता है.
23.500 दक्षिण में मकर रेखा का प्रतिनिधित्व करता है। 21 दिसंबर को सूर्य मकर रेखा के ऊपर चमकता है और इसे वर्ष की सबसे लंबी रात के रूप में जाना जाता है.
21 दिसंबर को विंटर सोलस्टाइस के नाम से जाना जाता है.
जब एक खगोलीय पिंड का प्रकाश दूसरे खगोलीय पिंड द्वारा अस्पष्ट होता है, तो स्थिति को ग्रहण के रूप में जाना जाता है.
जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आती है तो इसे चंद्र ग्रहण के रूप में जाना जाता है.
जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच आता है तो इसे सूर्य ग्रहण के रूप में जाना जाता है.